त्वचा पर नज़र आ रहे हैं सफेद दाग, तो जानें इसकी वजह और डाइट से जुड़ी ज़रूरी बातें

त्वचा पर नज़र आ रहे हैं सफेद दाग, तो जानें इसकी वजह और डाइट से जुड़ी ज़रूरी बातें

कई लोगों को स्किन इंफेक्शन के तौर पर शरीर के अलग-अलग हिस्सों सफेद दाग की समस्या होती है. अगर समय रहते इसका ट्रीटमेंट शुरू नहीं किया गया, तो यह रोग शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैलने लगता है. आगे चलकर सफेद दागो के जड़ पकड़ने पर इसे नियंत्रित करना कठिन हो सकता है. यूं तो सफेद दाग के कई कारण होते हैं, लेकिन कई बार कई बार दिमाग पर अधिक बोझ पड़ने पर भी यह रोग हो जाता है.

कई बार जब शरीर में मेलिनन की कमी हो जाती है, तो चमड़ी सफेद होने लगती है. मेलेनिन एक प्राकृतिक सनस्क्रीन का काम भी करता है, जो त्वचा को UV किरणों से बचाता है. ये सनबर्न को पूरी तरह से नहीं रोक पाता, लेकिन ये UV किरणों से होने वाली कई परेशानियों से बचाता हैं. फ्रंटियर्स के मुताबिक कई बार यह जेनेटिक कारणों से भी हो सकता है. इसे विटिलिगो के नाम से भी जाना जाता है. आपके शरीर में मेलेनिन की मात्रा, ही विटामिन D की मात्रा को भी निर्धारित करता हैं. जो शरीर के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व होता है.

विटिलिगो से कैसे बचें? नियमित रूप से खानपान में पूरा नियंत्रण रखने से सफेद दागों से छुटकारा पाया जा सकता है. अपनी डाइट में साग- सब्जियां, दाल और फलों को शामिल करें. अपनी डाइट में नमक को जितना कम कर सकें, कम करें. अपनी डाइट में केला (हरा), करेला, लौकी, तोरई, सेम, सोयाबीन, पालक, मेथी, चौलाई, टमाटर, गाजर,मूली और चुकंदर को कम से कम नमक के साथ शामिल करे. दालों में आप केवल चने की दाल ले सकते हैं. गाजर, पालक, मौसमी और करेले का रस पीना फायदेमंद होगा. चने के आटे की रोटी देशी घी और बूरे के साथ खाएं. भुने या उबले हुए चने भी ले सकते हैं. डाइट में नमक, चीनी, गुड़, दूध, दही, अचार, तेल, डालडा, पाक को शामिल करने से बचें.

सफ़ेद दाग क्या होते हैं? वैसे तो सभी प्रकार के त्वचा रोग त्रिदोषज होते हैं फिर भी दोषों के अपने निजी लक्षणों से उनकी सबलता तथा निर्बलता की समीक्षा कर तदानुसार चिकित्सा की जाती है। जिस दोष के लक्षण को विशेष रूप से उभरा एवं बढ़ा हुआ देखे तो उसकी चिकित्सा पहले करें पर प्राय: ये वात, कफ की प्रधानता होने पर होते हैं। आमतौर पर यह समस्या होंठों और हाथ-पैरों पर दिखाई देती है। इसके अलावा शरीर के कई अलग-अलग हिस्सों पर भी ऐसे दाग नज़र आ सकते हैं। यह आम समस्या है जिसके कारणों का पूरी तरह पता नहीं चल सका है। फिर भी चिकित्सा द्वारा इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कई बार यह जेनेटिकल कारणों से भी हो सकती है पर ये छूने से दूसरों को संक्रमित नहीं होते हैं।

कुछ लोग इसे कुष्ठ रोग यानी लेप्रेसी की शुरुआती अवस्था मानकर इससे बहुत ज्यादा भयभीत हो जाते हैं पर वास्तव में ऐसा नहीं है। लेप्रेसी से इसका कोई संबंध नहीं है। यह एक प्रकार का चर्म रोग है जिससे शरीर के किसी अंदरूनी हिस्से को कोई भी नुकसान नहीं पहुँचता और यूरोपीय देशों में इतना आम है कि वहां इसे रोग की श्रेणी में भी नहीं माना जाता है। चिकित्सा के दौरान डॉक्टर रोगी को अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचने की सलाह देते हैं। कई बार एक से डेढ़ साल तक की अवधि में यह बीमारी ठीक हो जाती है जबकि कुछ मामलों में जरूरी नहीं है कि यह ठीक भी हो। विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) एक प्रकार का त्वचा रोग है, दुनिया भर की लगभग 0.5 प्रतिशत से एक प्रतिशत आबादी विटिलिगो से प्रभावित है, लेकिन भारत में इससे प्रभावित लोगों की आबादी लगभग 8.8 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है।

विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है, वहीं 95 प्रतिशत मामलों में 40 वर्ष से पहले ही विकसित होता है शुरुआत में छोटा-सा दिखाई देने वाला यह दाग धीरे-धीरे काफी बड़ा हो जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति को कोई शारीरिक परेशानी, जलन या खुजली नहीं होती। चेहरे पर या शरीर के अन्य किसी हिस्से में सफेद दाग होने के कारण कई बार व्यक्ति में हीनता की भावना भी पैदा हो जाती है।

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