हमारे शास्त्रों में चार युगों का वर्णन है। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। उसी से कलियुग चल रहा है। द्वापर युग में महाभारत का युद्ध पूरा होने के बाद, भगवान कृष्ण द्वारिका शहर लौट आए।
बाद में वे द्वारिका में कुछ समय रुके और वैकुंठ धाम लौट गए। कहा जाता है कि कलियुग की शुरुआत 3102 ईसा पूर्व यानी करीब 5 हजार साल पहले हुई थी।
शास्त्रों के अनुसार कलियुग का जीवनकाल चार युगों में सबसे छोटा है, यानी 4,32,000 वर्ष। वर्तमान में कलियुग की आयु लगभग 5 हजार वर्ष है, यानि कलियुग के समाप्त होने में अभी 4,27,000 वर्ष शेष हैं।
वर्तमान में कलियुग अपने प्रथम चरण में है। कलियुग का अंत इतना भयावह है कि हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते।
जब कलियुग का अंत निकट आ जाएगा, तो मनुष्य का जीवन काल केवल 20 वर्ष का होगा। इस पृथ्वी पर जितने भी पशु-पक्षी और जीव-जंतु हैं वे सब नष्ट हो जाएँगे और इसके पीछे का कारण मनुष्य होगा। कलियुग के अंतिम काल में मनुष्य और पशु के बीच कोई अंतर नहीं रहेगा।
कलियुग के अंत में, एक व्यक्ति 16 वर्ष की आयु में बूढ़ा हो जाएगा और 20 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हो जाएगी। पृथ्वी का विनाश प्राकृतिक आपदाओं जैसे आपदा, तूफान, भूकंप आदि के कारण नहीं बल्कि बढ़ती गर्मी के कारण होगा।
जब तक कलियुग समाप्त होगा, तब तक पृथ्वी पर गर्मी इस हद तक बढ़ चुकी होगी कि मनुष्य के लिए इसे सहन करना असंभव होगा।