चक्कर आना, कंपकंपी लगना, सांस लेने में समस्या या मुंह में जकड़न जैसे लक्षण हिस्टीरिया के होते हैं. हिस्टीरिया की समस्या ज्यादातर महिलाओं और लड़कियों में देखी जाती है. इसमें व्यक्ति को 24 से 48 घंटों तक बेहोशी और नींद की समस्या बनी रहती है. हिस्टीरिया न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसकी वजह से मेंटल और नर्वस डिसऑर्डर की समस्या पैदा हो सकती है. इसमें पेशेंट खुद पर कंट्रोल नहीं रख पाता. ऐसे पेशेंट्स आमतौर पर किसी फोबिया, सेल्फ डिसिप्लिन की कमी या डिप्रेशन जैसी समस्याओं से परेशान होते हैं. हिस्टीरिया अधिकतर एडोलसेंस एज में होता है. वैसे तो इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन इस डिसऑर्डर को घरेलू इलाज द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है. चलिए जानते हैं क्या हो सकता है हिस्टीरिया का घरेलू इलाज.
हिस्टीरिया के घरेलू इलाज जान लीजिए: द होलिस्टिक कॉन्सेप्ट्स के मुताबिक हिस्टीरिया के पेशेंट्स को एक कंप्लीट न्यूट्रिशियस डाइट की आवश्यकता होती है. उन्हें सेब,अंगूर, संतरा, पपीता और अनानास जैसे फलों का अधिक सेवन कराना चाहिए. जिन्हें हिस्टीरिया का अटैक बार-बार आता हो उन्हें लगभग एक महीने के लिए दूध वाली डाइट का सेवन करना चाहिए. हिस्टीरिया के पेशेंट्स के लिए डेली एक चम्मच शहद का सेवन फायदेमंद होता है. हींग को अपनी डाइट में नियमित रूप से शामिल करें. डाइट में डेली 0.5 से 1.0 ग्राम हींग लेनी चाहिए. जिन लोगों को हींग से एलर्जी होती है वह इसे सूंघ भी सकते हैं. एक गिलास दूध में एक ग्राम राउवोल्फिया की जड़ मिलाएं. इस दूध का सेवन दिन में दो बार करें. यह बहुत ही इफेक्टिव तरीका है हिस्टीरिया को कंट्रोल करने का. हिस्टीरिया के पेशेंट्स के इलाज में प्रॉपर नींद और नियमित एक्सरसाइज फायदेमंद होती है. जिस वक्त हिस्टीरिया का अटैक आता है उस समय लौकी को कद्दूकस करके पेशेंट के माथे पर लगाएं. इससे काफी आराम मिलता है.
हिस्टीरिया के लक्षण: शरीर में ऐंठन, सांस लेने में परेशानी, हार्टबीट का तेज होना, सिरदर्द, थकान महसूस होना, चक्कर व बेहोशी आना, वायलेंट होना,तनाव
हिस्टीरिया के कारण: अधिक आलस, फैमिली हिस्ट्री, घबराहट, फोबिया, चिंता या तनाव, डिप्रेशन, ब्रेन ट्यूमर, मेंटल डिसऑर्डर
क्यों होता है हिस्टीरिया: लड़कियों की शादी में देरी, पति-पत्नी के बीच लड़ाई-झगड़े, पति की अवहेलना या दुव्र्यवहार, तलाक, मृत्यु, गंभीर आघात, धन हानि, मासिक धर्म विकार, संतान न होना, गर्भाशय के रोग आदि ऐसे कई कारण हैं जो इस बीमारी की वजह बनते हैं। जब घर में झगड़े हों, प्रेम में असफलता, अपच व कब्ज की शिकायत बनी रहे, रोगी के चेतन या अचेतन मन में चल रहे किसी तनाव का दबाव बहुत बढ़ जाए और उससे बाहर निकलने का जब कोई रास्ता न दिखे तो वह जिन भावों में व्यक्त होता है उसे हिस्टीरिया के नाम से जाना जाता है।
पहचानें इस रोग को: शरीर के किसी अंग में ऐंठन, थरथराहट, बोलने की शक्ति का नष्ट होना, निगलने व सांस लेते समय दम घुटना, बहरापन, तेज-तेज चिल्लाना या खूब हंसना जैसे लक्षण सुनिश्चित करते हैं कि स्त्री हिस्टीरिया से ग्रसित है। रोग के लक्षण एकाएक प्रकट या लुप्त हो सकते हैं। लेकिन कभी-कभी लगातार हफ्तों या महीनों तक भी ये बने रह सकते हैं।
मिर्गी जैसे दौरे नहीं पड़ते: अक्सर लोग हिस्टीरिया और मिर्गी के दौरे में अन्तर नहीं समझ पाते। मिर्गी में रोगी को अचानक दौरा पड़ता है। रोगी कहीं पर भी रास्ते में, बस में, घर पर गिर जाता है। उसके दांत भिच जाते हैं, जिससे उसके होंठ और जीभ भी दांतों के बीच में आ जाती है जबकि हिस्टीरिया रोग मे ऐसा नहीं होता। रोगी को हिस्टीरिया का दौरा पडऩे से पहले ही महसूस हो जाता है और वह कोई सुरक्षित स्थान देखकर वहां लेट सकता है। उसके दांत भिचने पर होंठ और जीभ दांतों के बीच में नहीं आती। दौरा पडऩे पर रोगी के कपड़े ढीले कर देने चाहिए और उसके शरीर को हवा लगने देनी चाहिए। जैसे-जैसे दौरा खत्म होता है, रोगी खुद ही खड़ा हो सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार: आयुर्वेद के ग्रंथ ‘माधव निदान’ के परिशिष्ट में ‘योषा अपस्मा’ के नाम से इस रोग का वर्णन किया है। इस ग्रंथ के अनुसार यह रोग 12-50 वर्ष तक की आयु में होता है।