इम्यूनिटी बूस्‍ट करने से लेकर कैंसर तक फायदेमंद है अगेती की पत्तियां, जानिए किन-किन रोगों में है लाभदायक

इम्यूनिटी बूस्‍ट करने से लेकर कैंसर तक फायदेमंद है अगेती की पत्तियां, जानिए किन-किन रोगों में है लाभदायक

अगेती की पत्तियां अग्न्याशय (Pancreas) की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की रिपेयर करती हैं और ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकती है। इसके अलावा ये पत्तियां कोलेस्ट्रॉल, ट्राईग्लिसराइड के स्तर को भी कम करती हैं और लिपिड प्रोफाइड को नियंत्रित करती हैं। सेस्बेनिया ग्रैंडिफ्लोरा को अगेती कीराई या वेजिटेबल हमिंगबर्ड के नाम से जाना जाता है। यह छोटी शाखाओं वाला पेड़ है, जो फैबेसी और जीनस सेसबेनिया परिवार से संबंधित है।

कैंसर को रोकने में सहायक: ये पत्तियां कैंसर को कम करती हैं क्योंकि इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं। इसके अलावा अगेती के फूल फेफड़े के कैंसर से बचाते हैं और कोलन कैंसर के इलाज में मदद करते हैं।

इम्यूनिटी बढ़ाए: अगेती की पत्तियों में पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। अगेती की पत्तियों का सेवन करने से रक्त में जिंक, सेलेनियम और मैग्नीशियम की स्तर बढ़ता है और ग्लूटाथियोन, रिडक्टेस, ग्लूटाथियोन एस ट्रांसफरेज जैसे हानिकारक यौगिक कम होते हैं। अगेती की पत्तियों का सेवन करने से इम्यूनिटी बढ़ने में काफी मदद करती हैं।

डायबिटीज़ नियंत्रित करे: अगेती की पत्तियां अग्न्याशय की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की रिपेयर करती हैं और ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकती है। इसके अलावा ये पत्तियां कोलेस्ट्रॉल, ट्राईग्लिसराइड के स्तर को भी कम करती हैं और लिपिड प्रोफाइड को नियंत्रित करती हैं।

हड्डियों को मजबूत बनाए: अगेती की पत्तियों में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, आयरन और विटामिन पाया जाता है। ये सभी खनिज हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और बूढ़े लोगों में अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करते हैं। रोजाना अगेती की पत्तियों का सेवन करने से बोन मिनरल डेंसिटी में सुधार होता है।

एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव: अगेती की पत्तियों में पर्याप्त मात्रा में सिस्टिन पाया जाता है, जो एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव डालता है एवं मुक्त कणों से सुरक्षा प्रदान की करता है। अगेती की पत्तियां और फूल ई-कोलाई, स्टैफिलोकोकस ऑरेयस जैसे बैक्टीरिया पर एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव डालते हैं और बीमारियों से बचाते हैं।

अगेती झुलसा के लक्षण: अगेती झुलसा रोग आल्टनेरिय सोलेनाई नामक कवक के कारण होता है। इस रोग से आलू की फसल को सबसे अधिक नुकसान होता है। इस रोग के लक्षण बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद नजर आने लगते हैं। पौधों की निचली पत्तियों पर छोटे – छोटे धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ धब्बों के आकार एवं रंग में भी वृद्धि होती है। रोग का प्रकोप बढ़ने पर पत्तियां सिकुड़ कर गिरने लगती हैं। तनों पर भी भूरे एवं काले धब्बे उभरने लगते हैं। कंद आकार में छोटे रह जाते हैं।

अगेती झुलसा रोग पर नियंत्रण: इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 25 से 30 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करें। इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर मैंकोज़ेब मिला कर भी छिड़काव कर सकते हैं। अच्छी पैदावार के लिए फफूंदनाशक के छिड़काव के 3-4 दिनों बाद 15 लीटर पानी में 10 ग्राम देहात पंच मिला कर छिड़काव करें।

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